इस क्षेत्र की बदहाली के लिए प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ राजनीतिक कारण कितने जिम्मेदार हैं, इसको इस तथ्य से समझा जा सकता है कि केन्द्र द्वारा गत वर्ष बुंदेलखण्ड को अतिरिक्त सहायता के मद में दिए गए 800 करोड़ रुपये को उ.प्र. सरकार खर्च ही नहीं कर पाई है और उसने बीते मार्च माह तक मात्र 73 करोड़ यानी सिर्फ 09 प्रतिशत धनराशि का उपयोग प्रमाण पत्र दिया है!
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स्थयी समिति ने अपनी अगली सिफारिश के संदर्भ में मंत्रालय से आये जवाब मे कि असम, झारखंड, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड़ से इस छात्रवृति पर खर्च एवं उपयोग प्रमाण पत्र नही मिलने के कारण इनकी वित्त पूर्ति पर रोक लगा दी गई थी लेकिन कमेटी ने इससे नाराजगी जताते हुए कहा कि इसके खच्र का सुनिश्चित करते हुए यह ध्यान दिया जाये कि निर्धारित योजना का पैसा उसी योजना पर खर्च किया जाये किसी अन्य योजना मे यह डाइवर्ट नही किया जाएं।