मूसा जो रोज़े से थे उन्होंने कहा कि हे, ईश्वर अपनी इस स्थिति में मैं तेरी उपासना के योग्य नहीं हूं क्योंकि रोज़ेदार के मुंह से बदबू आती है।
12.
फतवे के मुख्य अंश इस प्रकार हैं, ” मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के आलावा कोई और उपासना के योग्य नहीं है, और अल्लाह का कोई सहभागी नहीं है.
13.
(१) पहली बात के संबंध में राममोहन राय का मत था कि ब्रह्मांड का उत्पन्नकर्त्ता, रक्षणकर्त्ता और संहारकर्त्ता अनादि, अगम्य, अपरिवर्तनशील, सर्वव्यापी परमात्मा ही उपासना के योग्य है।
14.
इनमे से कोई भी उपासना के योग्य नही है, किन्तु व्यवहार मात्र की सिद्धि के लिए ये सब देव है, और सब मनुष्यों के उपासना के योग्य तो देव एक ब्रह्म ही है ।
15.
इनमे से कोई भी उपासना के योग्य नही है, किन्तु व्यवहार मात्र की सिद्धि के लिए ये सब देव है, और सब मनुष्यों के उपासना के योग्य तो देव एक ब्रह्म ही है ।
16.
-इनमें से कोई भी उपासना के योग्य नहीं है, किन्तु व्यवहारमात्र की सिद्धि के लिये ये सब देव हैं, और सब मनुष्यों के उपासना के योग्य तो देव एक ब्रह्म ही है | इसमें यह प्रमाण है-(स ब्रह्म.)
17.
-इनमें से कोई भी उपासना के योग्य नहीं है, किन्तु व्यवहारमात्र की सिद्धि के लिये ये सब देव हैं, और सब मनुष्यों के उपासना के योग्य तो देव एक ब्रह्म ही है | इसमें यह प्रमाण है-(स ब्रह्म.)
18.
उ.-इनमें से कोई भी उपासना के योग्य नहीं है, किन्तु व्यवहारमात्र की सिद्धि के लिये ये सब देव हैं, और सब मनुष्यों के उपासना के योग्य तो देव एक ब्रह्म ही है | इसमें यह प्रमाण है-(स ब्रह् म.
19.
उ.-इनमें से कोई भी उपासना के योग्य नहीं है, किन्तु व्यवहारमात्र की सिद्धि के लिये ये सब देव हैं, और सब मनुष्यों के उपासना के योग्य तो देव एक ब्रह्म ही है | इसमें यह प्रमाण है-(स ब्रह् म.
20.
मनुष्य के मन में मूर्ति की आस्था पहले ही घर कर चुकी थी, इसलिए उसने मूर्ति के आगे सिर झुकाना और उसे पूजना आरंभ कर दिया और वह मनुष्य जिसकी उपासना के योग्य केवल एक अल्लाह था, मूर्तियों को पूजने लगा और शिर्क (बहुदेववाद) में फंस गया।