थुलुवा वेल्लालर या तुलुवा या तुलुमार वेल्लालरों की एक उप-जाति है और दक्षिण केनरा के एक आधुनिक जिले के एक भाग तुलुनाड से आए हुए प्रवासी थे.
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भारत में भी अलग राज्य के लिए या उप-जाति के आधार पर किसी प्रांत के भीतर स्वायत्तशासी क्षेत्र बनाने के आन्दोलनों पर सभी कम्युनिस्ट दल एकमत नहीं होते.
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इस ब्लोग के माध्यम से हम अपने समुदाय के सभी सदस्यों को भाषा, क्षेत्र, उप-जाति, कुरी, गौत्र जैसे भेदभाव मिटाकर आपसी एकता को मजबूत करने का अनुरोध करते हैं।
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जो लोग धम्म दीक्षा लेने के बाद भी जाति और उप-जाति बनाए रखना चाहते हैं या जाति-पात में विश्वास करते हैं वो बौद्ध धर्म का बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं क्योंकि इससे बौद्ध धर्म में भी जाति का जहर फैल जाएगा.
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बाघ की कोई उप-जाति नही होती हैं, वह विभिन्न भौगोलिक स्थितियों में रहते हैं, था इसके अनुरूप उनका शारीरिक विकास होता है, यह रेसेज में विभिन्न माने जाते हैं, जैसे होमो-सैपियन्स, चाहे वह अफ़्र्रेकन हो या भारतीय, इनके आपस में प्रजनन करने से किसी प्रकार की आनुवशिंक प्रदूषण की आंशका नही होती।
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इस तरह के एक समूह की प्रगति में कुछ बिंदुओं पर, कुछ सदस्य अन्य आबादी से अलग किए जा सकते हैं और वे उप-जाति में शामिल किए जा सकते हैं, एक ऐसी प्रक्रिया पूर्ण रूप से किसी नई जाति को जन्म देती है यदि अलगाव (भौगोलिक या पर्यावरणीय) को कायम रखा जाता है.
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वे धीरे-धीरे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि रूढ़िवादी हिंदू समाज मूर्तिपूजा तथा जाति एवं उप-जाति प्रथा का प्रतीक बन चुका है, इसमें अंतरजातीय विवाहों और दूसरी जाति के लोगों के साथ भोजन करने को एक कलंक माना जाता है, तथा इसकी अस्पृश्यता जैसी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए इसमें भारी परिवर्तन किए जाने की जरूरत है।
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वे धीरे-धीरे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि रूढ़िवादी हिंदू समाज मूर्तिपूजा तथा जाति एवं उप-जाति प्रथा का प्रतीक बन चुका है, इसमें अंतरजातीय विवाहों और दूसरी जाति के लोगों के साथ भोजन करने को एक कलंक माना जाता है, तथा इसकी अस्पृश्यता जैसी प्रथाओं को समाप्त करने के लिए इसमें भारी परिवर्तन किए जाने की जरूरत है।
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रिपोर्ट बनाने वालों ने ना तो इसकी समझ है कि तथ्यों को प्रजातंत्र की मूल अवधारणाओं से कितना जोड़ा जाये और ऐसा करते वक़्त किस हद तक तात्कालिक परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाये ना हीं वे यह जानते हैं कि अनेक पहचान-समूह वाले समाज में राज्य की भूमिका किस तरह की होती है खासकर उस समाज में जहाँ धर्म, जाति, उप-जाति, क्षेत्र एवं भाषाई आधार पर एक-दूसरे से द्वंदात्मक समन्वयता सम्बन्ध रहे हों.