दक्षिणी गुजरात में भरूच और सूरत ज़िले अपनी उर्वर मिट्टी और उच्च क़िस्म की कपास की फ़सलों के लिए प्रसिद्ध हैं।
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खनिज, जंगल, वर्षा, नदियों, उर्वर मिट्टी, जैविक संपदा आदि के हिसाब से मध्यप्रदेश काफी संपन्न है।
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यहाँ की उर्वर मिट्टी, नदी तट क्षेत्र, झीलें आदि मछली उत्पादन, चावल, नारियल तथा साग-सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त है ।
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यहाँ की उर्वर मिट्टी, नदी तट क्षेत्र, झीलें आदि मछली उत्पादन, चावल, नारियल तथा साग-सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त है ।
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यहाँ की उर्वर मिट्टी, नदी तट क्षेत्र, झीलें आदि मछली उत्पादन, चावल, नारियल तथा साग-सब्जियों की खेती के लिए उपयुक्त है ।
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केवल उत्तराखंड से निकलने वाली गंगा और यमुना बंगाल तक की करीब ७ ० करोड़ आबादी के लिए पानी, सिंचाई और उर्वर मिट्टी का प्रबंध करती हैं।
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खेतों को प्राकृतिक रूप में खाद व उर्वर मिट्टी भी इन्हीं जंगलांे से प्राप्त होती है, परन्तु जंगलों में लगी आग ने उन सब पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
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नदियों के किनारे कृषि के लिए आवश्यक जल और उर्वर मिट्टी भी पर्याप्त होती है, इसीलिए सभी प्रमुख सभ्यताओं का उत्थान जल क्षेत्रों के आस-पास ही होता रहा है।
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इस स्तंभ का उद्देश्य कथा लेखकों का सहचर होना रहा है और इस बार हिंदी के वरिष्ठ कथाकार, नाटककार और नाट्य-समीक्षक हृषीकेश सुलभ हमें अपनी उस रचना-भूमि की यात्रा पर साथ लिए चल रहे हैं, जिसकी उदास लेकिन उर्वर मिट्टी ने उन्हें गढ़ा है.
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{इस स्तंभ का उद्देश्य कथा लेखकों का सहचर होना रहा है और इस बार हिंदी के वरिष्ठ कथाकार, नाटककार और नाट्य-समीक्षक हृषीकेश सुलभ हमें अपनी उस रचना-भूमि की यात्रा पर साथ लिए चल रहे हैं, जिसकी उदास लेकिन उर्वर मिट्टी ने उन्हें गढ़ा है.