जिस समय बैंक अपने ग्राहक के आदेश से उसके लेखे पर सिक्यूरिटियों का क्रय विक्रय करता है, उसके लेखे पर आयकर, भूमिकर, बीमा की प्रख्याजि का (प्रीमियम), चंदा आदि की राशि का भुगतान करता है तो उस स्थिति में बैंक ग्राहक के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है।
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जिस समय बैंक अपने ग्राहक के आदेश से उसके लेखे पर सिक्यूरिटियों का क्रय विक्रय करता है, उसके लेखे पर आयकर, भूमिकर, बीमा की प्रख्याजि का (प्रीमियम), चंदा आदि की राशि का भुगतान करता है तो उस स्थिति में बैंक ग्राहक के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है।
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जिस समय बैंक अपने ग्राहक के आदेश से उसके लेखे पर सिक्यूरिटियों का क्रय विक्रय करता है, उसके लेखे पर आयकर, भूमिकर, बीमा की प्रख्याजि का (प्रीमियम), चंदा आदि की राशि का भुगतान करता है तो उस स्थिति में बैंक ग्राहक के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है।
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उसके लेखे, देश का नव निर्माण तो वे लोग कर रहे हैं जो किसानों की जोत को औने पौने दामों खरीद कर लोगों की रिहाइश के नाम पर इनकी रोजी रोटी छीन रहे हैं. ' कहीं कोई ज़मीन नहीं ' कविता बिल् डरों की इन् हीं कारगुजारियों पर केंद्रित है: ' फसलें जला दी गयी हैं / सल् फास खा चुके हैं किसान / और बचे खुचे लोग बिल् डरों से ही रोजी मॉंग रहे हैं / पृथ् वी बिल् डर की डायनिंग टेबल पर रखा एक अधखाया फल. '