पर मुसीबत यह है कि जिस प्रकृति से लड़कर और उसे वश में करके हम पशु से इन्सान बने और आज सर्वशक्तिमान होने का दावा कर रहे हैं, उसी प्रकृति का हम एक अभिन्न हिस्सा भी हैं।
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पर मुसीबत यह है कि जिस प्रकृति से लड़कर और उसे वश में करके हम पशु से इंसान बने और आज सर्वशक्तिमान होने का दावा कर रहे हैं, उसी प्रकृति का हम एक अभिन्न हिस्सा भी है।
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साथ ही, कालिदास ने मनुष्य के जीवन का जिस प्रकृति से अटूट सम्बन्ध स्थापित किया था उसी प्रकृति का एक अंग मेघ आज ' मेघ-प्रश्न ' में मानव से अपने प्रति उत्तरदायित्व की सांकेतिक माँग भी करता है।
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कितने आश्चर्य की बात है कि आज जिन साहित्यकारों की दुकानें जल-जंगल-ज़मीन के नाम पर चल रही हैं उन्होंने प्रकृति के मानवीकरण की कविता को साहित्य से बाहर करने के लिए अथक श्रम किया और अब वो उसी प्रकृति का रोना भी रो रहे हैं।