1. भारतेंदु हरिश्चंद्र, जैसा ऊपर कह आए हैं, नवीन धारा के बीच भारतेंदु की वाणी का सबसे ऊँचा स्वर देशभक्ति का था।
12.
हर मोहल्ले की पॉश कालोनियों में बनेंगे और वो भी एक से एक टॉप लोकेशन पर “ ” हाँ! … हमीं लोगों की जेबों की कीमत पर ” मेरा ऊँचा स्वर मायूस हो चला था
13.
शायद जलती स्त्री को जलाने वाला / वाली (दुख है कि इस शुभ कार्य में स्त्रियाँ भी वैसे ही हिस्सा लेती हैं जैसे डायर के साथ भारतीय मूल के पुलिसकर्मी) अन्तिम शब्द भी यही कहता होगा कि ' हे स्त्री, इतनी जोर से मत चीख, यह अभद्र ऊँचा स्वर तुझे शोभा नहीं देता।