ऋग्वेद में गड़ेरियों के देवता पश्म की स्तुति है, जिसमें ऊन श्वेतन करने तथा कातने का उल्लेख मिलता है कि कांबोज (बदख्शाँ और पामीर) के लोगों ने राजसूय यज्ञ के अवसर पर युधिष्ठिर को सुनहली कढ़ाई के ऊनी वस्त्र (ऊर्ण) भेंट में दिए थे।
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संस्कृत की कवयित्री विज्जिका कहती हैं प्रणय परिणय प्रीति सम्भोग का वास्तविक परिचय तो ऊर्णनाभ यानी मकड़ा देता है, क्योंकि जब मादा ऊर्ण नाभ सुख की चरम स्थिति में होती है, तो वह मकड़े का सर काट कर खा जाती है, वस्तुतः यही है प्रेम का मूल्य, जिसे प्रेमी हौसले से देता है-