इस पर 4. 8 ' 10-10 स्थि. वै. मा. (e.s.u.) अर्थात् एक इकाई ऋण आवेश है।
12.
कौंसिलर: बिजली के धन और ऋण आवेश वाले तारों को कुछ सालों पहले जोड़ा जाता था तो स्पार्किंग होती थी, चिनगारी निकलती थी ।
13.
इसके गुण इलेक्ट्रोन के समान होते किन्तु दोनो में अंतर यह है की इलेक्ट्रोन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पोजीट्रोन धन आवेश युक्त कण है ।
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इसके गुण इलेक्ट्रोन के समान होते किन्तु दोनो में अंतर यह है की इलेक्ट्रोन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पोजीट्रोन धन आवेश युक्त कण है ।
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इसके गुण इलेक्ट्रोन के समान होते किन्तु दोनो में अंतर यह है की इलेक्ट्रोन ऋण आवेश युक्त कण है तथा पोजीट्रोन धन आवेश युक्त कण है ।
16.
(भौतिक विज्ञान के अनुसार इसे विपरीत आवेश ब्रह्माण्ड(विपरीत C ब्रह्माण्ड) कहेंगे क्योंकि यहां धन आवेश और ऋण आवेश मे अदलाबदली हो गयी है लेकिन अन्य सभी कुछ समान है।)
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(भौतिक विज्ञान के अनुसार इसे विपरीत आवेश ब्रह्माण्ड (विपरीत C ब्रह्माण्ड) कहेंगे क्योंकि यहां धन आवेश और ऋण आवेश मे अदलाबदली हो गयी है लेकिन अन्य सभी कुछ समान है।
18.
सुषुम्ना को वैज्ञानिक स्थायी द्वितीय केन्द्र (इलेक्टि्रक डायपोल) मानते हैं कि जिसका अधोभाग जो काडा इक्वाइना कहलाता है ऋण आवेश है तथा उर्ध्व वाला '' सेरिब्रम '' नामक भाग धन आवेश युक्त ।
19.
जिन परमाणुओं में इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटोन संख्या से अधिक हो जाती है उनपर ऋण आवेश तथा जिनमें इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटोन संख्या से कम हो जाती है उन पर धन आवेश उत्पन्न होता जाता है।
20.
२. दो प्राथमिक भौतिक कण, ऋण आवेश युक्त इलैक्ट्रॉन तथा धन आवेश युक्त पोज़ीट्रॉन निश्चित दशाओं में एक दूसरे से टकराते हैं और नष्ट हो जाते हैं, यानि दो फ़ोटोनों में अर्थात प्रकाश के क्वांटमों में तबदील हो जाते हैं।