काना (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई आँख ख़राब या विकृत हो गई हो ; एकाक्ष 2. टेढ़ा ; तिरछा 3. दोषयुक्त 4. कीड़े आदि के द्वारा खाया गया या दागी (फल) ।
12.
किस कर्म के फलस्वरूप प्राणी रोगी होता है और किस कर्मफल से नीरोग? दीर्घजीवी और अल्पजीवी होने में कौन-कौन से कर्म प्रेरक हैं? किस कर्म के प्रभाव से प्राणी सुखी होता है और किस कर्म के प्रभाव से दु: खी? किस कर्म से मनुष्य अंगहीन, एकाक्ष, बधिर, अन्धा, पंगु, उन्मादी, पागल तथा अत्यन्त लोभी और नरघाती होता है एवं सिद्धि और सालोक्यादि मुक्ति प्राप्त होने में कौन कर्म सहायक है?