उस गीत में “पार्कवे डायनर” का भी जिक्र है, जो लेवीटाउन और ईस्ट मेडो, लौंग आईलैंड की सीमा पर स्थित है, हालांकि अब यह एम्प्रेस डायनर है.
12.
उस गीत में “पार्कवे डायनर” का भी जिक्र है, जो लेवीटाउन और ईस्ट मेडो, लौंग आईलैंड की सीमा पर स्थित है, हालांकि अब यह एम्प्रेस डायनर है.
13.
एम्प्रेस्स् गउॅए एम्प्रेस गॉजफूलों की आकृतियों से युक्त बारीक कपड़ा, जो सामान्यः रेशमी गॉज केपृष्ठ पर रेशमी या लिनन सूत्रों द्वारा डाली गई आकृतियों से तैयार कियाजाता है.
14.
उपर्युक्त साहित्यिक रंगमंच के उपर्युक्त छुटपुट प्रयास से बहुत आगे बढ़कर पारसी मंडलियों-ओरिजिनल विक्टोरिया, एम्प्रेस विक्टोरिया, एल्फिंस्टन थियेट्रिकल कम्पनी, अल्फ्रेड थियेट्रिकल तथा न्यू अलफ्रेड कम्पनी आदि-ने व्यावसायिक रंगमंच बनाया।
15.
उपर्युक्त साहित्यिक रंगमंच के उपर्युक्त छुटपुट प्रयास से बहुत आगे बढ़कर पारसी मंडलियों-ओरिजिनल विक्टोरिया, एम्प्रेस विक्टोरिया, एल्फिंस्टन थियेट्रिकल कम्पनी, अल्फ्रेड थियेट्रिकल तथा न्यू अलफ्रेड कम्पनी आदि-ने व्यावसायिक रंगमंच बनाया।
16.
दूसरों के लिए वह कभी नहीं सोचती थी और हर बार कुछ ऐसा करती थी जिससे लोगों को उन्हें अपने राज्य की ‘ एम्प्रेस ' कहने में भी शर्म आती थी.
17.
उपर्युक्त साहित्यिक रंगमंच के उपर्युक्त छुटपुट प्रयास से बहुत आगे बढ़कर पारसी मंडलियों-ओरिजिनल विक्टोरिया, एम्प्रेस विक्टोरिया, एल्फिंस्टन थियेट्रिकल कम्पनी, अल्फ्रेड थियेट्रिकल तथा न्यू अलफ्रेड कम्पनी आदि-ने व्यावसायिक रंगमंच बनाया।
18.
२००८ में, लगभग १.२ अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के स्वामी वे विश्व के सर्वाधिक धनी व्यक्तियों में 962वें स्थान पर थे और भारत में वे 42वें (42nd in India) स्थान पर थे.उन्हें तात्विक प्रेस कवरेज प्राप्त होता है जो उनकी भव्य पार्टियों और उनके याच, इंडियन एम्प्रेस (Indian Empress) पर केंद्रित रहता है.
19.
ने ये फैसला लिया कि टाटा को मिल समाप्त कर देनी चाहिए, जिसे अंत में 1986 में बंद कर दिया गया.रतन इस फैसले से बेहद निराश थे, और बाद में हिन्दुस्तान टाईम्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि एम्प्रेस को मिल जारी रखने के लिए सिर्फ़ ५० लाख रुपये की जरुरत थी.
20.
इसलिए, कुछ टाटा निर्देशकों, मुख्यतः नानी पालखीवाला (Nani Palkhivala) ने ये फैसला लिया कि टाटा को मिल समाप्त कर देनी चाहिए, जिसे अंत में 1986 में बंद कर दिया गया.रतन इस फैसले से बेहद निराश थे, और बाद में हिन्दुस्तान टाईम्स के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया कि एम्प्रेस को मिल जारी रखने के लिए सिर्फ़ ५० लाख रुपये की जरुरत थी.