इसका एक ऐसीटिल व्युत्पन्न ऐस्पिरिन है, जो शिर पीड़ा की अनुभूति दूर करने में बड़ा उपयोगी सिद्ध हुआ है।
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साधारण शिर: पीड़ा के लिए कुछ औषधियाँ प्रयुक्त होती हैं, जैसे ऐस्पिरिन, सोडा-सेलिसिलास, नोवलजीन, इरगापाइरीन आदि।
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कई बार दवाओं के प्रयोग से जैसे ऐस्पिरिन, रक्तचाप की दवाओं या ऐंटीबॉयटिक दवाओं के सेवन से भी ऐसा हो सकता है.
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बहुत सारी एनसेड्स, ओवर द काउंटर दवाएं (जो टाइलेनॉल या ऐस्पिरिन नही हैं) भी पेट की गंभीर समस्या का कारण बन सकती हैं।
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लेकिन जब इससे काम नहीं चले तो नॉन-स्टीरॉयडल एंटीइन्फ्लेमेट्री दवा (NSAIDs) जैसे ऐस्पिरिन, डाइक्लोफेनेक, एसीक्लोफेनेक, नेप्रोक्सेन आदि दी जाती हैं।
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फिर इनसे ऐनिलीन, फिनोल, ऐल्डिहाइड, कार्बोक्सिलिक अम्ल, सैलिसिलिक अम्ल, सैलोल, ऐस्पिरिन इत्यादि अनेक बड़े उपयोगी पदार्थ प्राप्त हो सकते हैं।
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बहुत सारी एनसेड्स, ओवर द काउंटर दवाएं (जो टाइलेनॉल या ऐस्पिरिन नही हैं) भी पेट की गंभीर समस्या का कारण बन सकती हैं।
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ऐस्पिरिन या अल्कोहल जैसे रसायन, जो मुंह के श्लेषक पर रखे जाते हैं या उसके संपर्क में आते हैं, ऊतकों को परिगलित कर सकते हैं और एक छाले-युक्त सतह का निर्माण कर सकते हैं.
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ऐस्पिरिन या अल्कोहल जैसे रसायन, जो मुंह के श्लेषक पर रखे जाते हैं या उसके संपर्क में आते हैं, ऊतकों को परिगलित कर सकते हैं और एक छाले-युक्त सतह का निर्माण कर सकते हैं.
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व्ज्व्ज्व्ग्प्ब् क्त्न्ळै रू अमिनोग्लाइकोसाइड जैसे स्ट्रेप्टोमाइसिन, एमिकासिन, जेंटामाइसिन, ऐस्पिरिन, कैंसर निरोधी दवा सिस्प्लेटिन (ब्पेचसंजपद) और वैसी दवा जिससे पेशाब ज्यादा आता है, फ्यूरोसेमाइड आदि भी इन्हीं दवाओं की श्रेणी में आती हैं।