बारिश की बूँदें थी आईं, पीछे ओला-वृष्टि हुई थीआधे घंटे से भी कम में, श्वेत-खेत की सृष्टि हुई थीजहाँ कहीं भी नज़र घुमाएँ, या जल था या जलते ओलेवर्षा के पानी का मैंने, आँखों में तिरना देखा था।
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बारिश की बूँदें थी आईं, पीछे ओला-वृष्टि हुई थी आधे घंटे से भी कम में, श्वेत-खेत की सृष्टि हुई थी जहाँ कहीं भी नज़र घुमाएँ, या जल था या जलते ओले वर्षा के पानी का मैंने, आँखों में तिरना देखा था।
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का कहना है कि-बहुत बहुत बधाई दोनो विजताओ को मेरी तरफ़ सेबारिश की बूँदें थी आईं, पीछे ओला-वृष्टि हुई थीआधे घंटे से भी कम में, श्वेत-खेत की सृष्टि हुई थीजहाँ कहीं भी नज़र घुमाएँ, या जल था या जलते ओलेवर्षा के पानी का मैंने, आँखों में तिरना देखा था।