विभिन्न जातियों और कबिलों पर औपनिवेशिक प्रशासन किए जाने की आवश्यकता का भी ब्रिटेन के नृतत्वशास्त्रियों के विचारों पर बहुत प्रभाव था।
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ब्रिटिश साम्राज्य से माफी मांगने वाले लोगों की दलील थी कि औपनिवेशिक प्रशासन में सुधारों से भारतीय को अच्छी सरकार मिलने जा रही है ।
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ब्रिटिश राज में जो औपनिवेशिक प्रशासन था, नेहरू जी ने अगरुसी को बरकरार रखा, तो लोग मौके-मौके पर क्यों कहते हैं कि इससे तो अंग्रेजी राज बेहतर था?
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ब्रिटिश राज में जो औपनिवेशिक प्रशासन था, नेहरू जी ने अगरुसी को बरकरार रखा, तो लोग मौके-मौके पर क्यों कहते हैं कि इससे तो अंग्रेजी राज बेहतर था?
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हालांकि अकाल इस उपमहाद्वीप के लिए नए नहीं थे, लेकिन ये गंभीर थे, जिसके चलते लाखों लोग मारे गए और कई ब्रिटिश और भारतीय आलोचकों ने इसके लिए भीमकाय औपनिवेशिक प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया.
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हालांकि अकाल इस उपमहाद्वीप के लिए नए नहीं थे, लेकिन ये गंभीर थे, जिसके चलते लाखों लोग मारे गए[7] और कई ब्रिटिश और भारतीय आलोचकों ने इसके लिए भीमकाय औपनिवेशिक प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया.
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१ ९ ६ १ में, भारत के प्रथम प्रधान मंत्री, जवाहर लाल नेहरु ने यह बात स्वीकारी थी कि हमारा प्रशासन अब भी औपनिवेशिक प्रशासन है और वे इसमें बदलाव लाने में नाकाम रहे हैं.
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हालांकि विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार औपनिवेशिक प्रशासन के खिलाफ विद्रोह के दौरान की गई कार्रवाइयों की जिम्मेदारी नहीं लेती, “ हम नहीं मानते कि यह समझौता ब्रिटेन के पूर्व औपनिवेशिक प्रशासन के किए किसी दूसरे कामों के लिए नजीर बनेगा. ”
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हालांकि विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार औपनिवेशिक प्रशासन के खिलाफ विद्रोह के दौरान की गई कार्रवाइयों की जिम्मेदारी नहीं लेती, “ हम नहीं मानते कि यह समझौता ब्रिटेन के पूर्व औपनिवेशिक प्रशासन के किए किसी दूसरे कामों के लिए नजीर बनेगा. ”