| 11. | किंतु कुछ लेखकों का ऐसा अनुमान है कि कंचुकपक्ष की उत्पत्ति जालपक्षीय आकृतिवाले पूर्वजों से हुई।
|
| 12. | सड़ी गली वनस्पतियों से बहुत से कंचुकपक्ष, मक्खियाँ तथा अन्य कीट आश्रय तथा भोजन पाते हैं।
|
| 13. | स्ट्रेप्सिप्टरा प्राय: कंचुकपक्ष से संबंधित समझे जाते हैं, किंतु कुछ लेखक इनका संबंध कलापक्ष के निर्धारित करते हैं।
|
| 14. | स्ट्रेप्सिप्टरा प्राय: कंचुकपक्ष से संबंधित समझे जाते हैं, किंतु कुछ लेखक इनका संबंध कलापक्ष के निर्धारित करते हैं।
|
| 15. | इस संबंध की अंतिम श्रेणी यह हैं की चीटियाँ स्राव के बदले में अतिथि कंचुकपक्ष को वस्तुत: भोजन देती हैं।
|
| 16. | इस संबंध की अंतिम श्रेणी यह हैं की चीटियाँ स्राव के बदले में अतिथि कंचुकपक्ष को वस्तुत: भोजन देती हैं।
|
| 17. | स्ट्रेप्सिप्टरा प्राय: कंचुकपक्ष से संबंधित समझे जाते हैं, किंतु कुछ लेखक इनका संबंध कलापक्ष के निर्धारित करते हैं।
|
| 18. | इस संबंध की अंतिम श्रेणी यह हैं की चीटियाँ स्राव के बदले में अतिथि कंचुकपक्ष को वस्तुत: भोजन देती हैं।
|
| 19. | नामक कंचुकपक्ष मध्य और पश्च टाँगों से, जिनमें बहुत परिवर्तन आ जाता है, तीव्रता से चक्कर लगाते हुए घूमता और तैरता है।
|
| 20. | उड़ने में काम आनेवाले पंखों पर चोली के समान संरक्षक पक्षवर्म (एलिट्रा) रहने के कारण ही इन जीवों को कंचुकपक्ष कहते हैं।
|