| 11. | कंकण या कड़े तथा कटि में रशना (करधनी)
|
| 12. | चाहें तो ताड़ासन, द्विभुज कटि चक्रासन करें।
|
| 13. | सीस मुकुट कटि काछनी, कर मुरली उर माल।
|
| 14. | मोर मुकुट कटि काछनी कर मुरली उर माल।
|
| 15. | सिंही मूले हरेत्पुष्ये कटि बध्वा नृपप्रिय: ।
|
| 16. | पांचवे दिन कटि प्रदेश पीठ और गुदाभाग ।
|
| 17. | इसकी कटि हिन ना बजे, मंगल बाजा-वृन्द ॥
|
| 18. | कटि निरखत केहरि डर मान्यौ बन-बन रहे दुराइ॥
|
| 19. | माया कौ कटि फेंटा बाँध्यौ, लोभ-तिलक दियौ भाल॥
|
| 20. | कटि भुजदंडै रजपूतन की चेहरा कटे सिपाहिन क्यार।
|