कौरव-पाण्डव राजकुमारों की कन्दुक एक सूखे कुँए में गिर गई थी, और उसे निकालने का कोई साधन उनके पास नहीं था।
12.
शरीरात्मवाद में स्मरण का उपपादन-चार्वाक चार्वाक मत में शरीर को ही आत्मा मान लेने पर बाल्यावस्था में अनुभूत कन्दुक क्रीडा आदि का वृद्धावस्था या युवावस्था में स्मरण कैसे होता है?
13.
डान्स ही तो करता रहा सहस्त्र फणों पर, हर एक को नाथे, कन्दुक उछालते, उछलते-कूदते, मुरली की मीठी तान मस्त हो गुँजाते, जीवन भर सबको नचाता रहा।
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15.
जिसकी इच्छा का प्रसार भूतल, पाताल, गगन है, दौड़ रहे नभ में अनंत कन्दुक जिसकी लीला के अगणित सविता-सोम, अपरिमित ग्रह, उडु-मंडल बनकर; नारी बन जो स्वयं पुरुष को उद्वेलित करता है और बेधता पुरुष-कांति बन हृदय-पुष्प नारी का.
16.
बूंद बूंद में शिव बसें जल और शिव के अभेद से शिव अभिषेक में टपकती बूंद, धरती, सारे आलम, यूनीवर्स, ब्रह्माण्ड या वेदों में वर्णित सोने के अण्डे या कन्दुक (गेंद) की प्रतीक है।
17.
जिसकी इच्छा का प्रसार भूतल, पाताल, गगन है, दौड़ रहे नभ में अनंत कन्दुक जिसकी लीला के अगणित सविता-सोम, अपरिमित ग्रह, उडु-मंडल बनकर ; नारी बन जो स्वयं पुरुष को उद्वेलित करता है और बेधता पुरुष-कांति बन हृदय-पुष्प नारी का.
18.
हजारों दिलों में यौवन उदय की कान्ति बन उठती लहरों की चमकनेवाले, उत्सव विशेष कला बन, विज्ञान की फसल बन, कर्म का सामर्थ्य बन, नई पीढ़ियो में वर्धित हो तू ईश्वर की सृष्टि की भाँति मानव की निर्मिति को स्तन दुग्ध के माधुर्य से पालन करने वाली हे नगर अम्बा, भविष्य के यश और श्रेय के कन्दुक क्रीड़ा वाले प्रांगण में।