दिनांक 19-2-86 को इसका कब्जा प्राप्त कर लिया गया है और जब वे वह इस सम्पत्ति पर काबिज है और ईश्वरी दत्त ने दिनांक 22-8-86 को कपटपूर्ण तरीके से आपत्तिकर्ता को नुकसान पहुंचाने के लिए एक गलत बैनामा कर दिया, जबकि इस भूखण्ड का कब्जा इकरारनामा बिक्री दिनांक 19-2-86 से आपत्तिकर्ता/प्रतिवादी का है।
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उन्हें यह भी खुलासा करना चाहिए कि उन्होंने अपने कितने चहेतों को क्या-क्या लाभ दिलाया और इन सब के लिए उन्होंने दलाली के जरिये कितनी कमाई की? जहां तक कथित सीडी मीडिया में दिखाये जाने की बात है, तो सभी यह जानते हैं कि कपटपूर्ण तरीके से फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने में अमर सिंह कितने माहिर हैं।