मुसलमान हमेशा दूसरों के अधिकार छीनते आये हैं और आपसी मित्रता, सद्भाव, भाईचारे की आड़ में पीठ में छुरा भोंकते आये हैं यह इस्लाम के इतिहास से प्रमाणित होता है, मुसलमान अपनी कपट नीति नहीं छोड़ सकते, कैसे कुत्ते की पूंछ सीधी नहीं हो सकती,
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यह किसी का अधिकार छीनना नहीं बल्कि सामाजिक संतुलन की प्रक्रिया का अवश्यंभावी परिणाम है पर राजनीतिक फायदे के लिए नेता गणित के नियमों को भूलकर हठधर्मिता करने वालों की हामी भरते हैं जिससे भ्रम पैदा होता है और ऐसा करके वे फूट डालो और राज करो की अंग्रेजों की कपट नीति का अनुशीलन करते नजर आते हैं।