| 11. | कमठ पीठ जामहिं बरु बारा ।
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| 12. | सेष कमठ सहि सकहिं न भारा।
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| 13. | कमठ सेष सम धर बसुधा के॥
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| 14. | मरुभूति छोटा एवं कमठ बड़ा था।
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| 15. | यथा पाष्र्वनाथ पर कमठ का उपसर्ग व धरणेन्द्र द्वारा उपसर्ग निवारण।
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| 16. | कमठ की पीठ तड़फड़ा उठी ; मेरुमंदर की चोटियाँ कंपित हुईं।
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| 17. | हुए भगवान पार्श्वनाथ के ऊपर कमठ के जीव ने घोर उपसर्ग
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| 18. | कमठ तपस्वी अति अभिमानी, प्रभु तुम सकल तत्व के ज्ञानी |
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| 19. | अपमानित कमठ जंगलों में गिरि-गुफाओं में तापस बनकर कठोर तप करने लगा।
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| 20. | हरा कमठ का मान ज्ञान का भानु प्रकाश किया | ऊँ जय0
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