यद्यपि बिजली के जिन खम्भों के बीच वह कूड़े का ढेर था वे सोसाइटी की परिधि के बाहर थे, पर जीवन के मधुरिम क्षणों को इतनी कर्कशता से प्रभावित करने वाली परिस्थितियाँ भला मन की परिधि के बाहर कहाँ जा पाती हैं?
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नारी की उत्कृष्टतम दया का वर्णन करते हुए वे अपनी कथा में लिखते हैं “ बड़े घर की बेटी, ' आनन्दी, अपने देवर से अप्रसन्न हुई, क्योंकि वह गंवार उससे कर्कशता से बोलता है और उस पर खींचकर खड़ाऊँ फेंकता है।