| 11. | अथ कुमारं शीताभिरद्भिराश्वास्य जात कर्मणि कृते मधुसर्पिरनंतचूर्णमंगुल्याsनामिकया लेहयेत् ।
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| 12. | लौकि कर्मणि रतः पशुनां परिपालकः वाणिज्यकृषिकर्मा यः सः विप्रो उच्यते।
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| 13. | नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि ।।
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| 14. | 2. कर्मणि प्रयोग। 3. भावे प्रयोग।
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| 15. | विवाह दुर्ग यज्ञेषु यात्रायां कर्मणि ।
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| 16. | तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव।।
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| 17. | पित्रये कर्मणि तु प्राप्ते परीक्षेत प्रयत् नत: ॥ 149 ॥
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| 18. | दौहित्रां विट्पतिं बन्धुमृत्विग्याज्यौचभोजयेत्॥ 148 ॥ न ब्राह्मणं परीक्षेत दैवे कर्मणि धर्मवित्।
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| 19. | भक्त हें खरं तर, ह्या दोन्ही धातूंचें कर्मणि भूतकालवाचक धातुसाधित विशेषण.
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| 20. | “कर्मंयेवाधिकरास्ते = कर्मणि एव अधिकार: ते = कर्म करनें में ही अधिकार है तुम्हारा”
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