' नराशंस ' शब् द कर्मधारय समास है, जिसका विच् छेद ' नरश् चासौ आशंसः ' अर्थात ' प्रशंसित मनुष् य ' होगा, इसलिए ' नराशंस ' शब् द से किसी देवता को भी न समझना चाहिये।
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जैसे-समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रहअसभ्य न सभ्य अनंत न अंतअनादि न आदि असंभव न संभव (ख) कर्मधारय समास जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्ववद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है।
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जैसे-समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रहअसभ्य न सभ्य अनंत न अंतअनादि न आदि असंभव न संभव (ख) कर्मधारय समास जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्ववद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है।
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(2 । 1 । 50) इस पाणिनिसूत्रानुसार दिशावाचक और संख्यावाचक शब्दों का कर्मधारय समास तभी होता हैं जब वह समस्त पद किसी प्रसिद्ध वस्तु का नाम हो, जैसे ‘ सप्तर्षि ', ‘ त्रिगुण ' और ‘ त्रिदेव ' आदि प्रसिद्ध वस्तु का नाम हैं।