क्योंकि लोगों ने अपने विभिन्न पूर्वजन्मों में कुछ अनुचित कार्य किये होते हैं, इससे लोगों के लिए विपत्तियाँ आती हैं और अभ्यासियों के लिए कर्म संबंधी बाधाएँ आती हैं।
12.
गुण कर्म संबंधी विभिन्न मत-आचार्य चरक ने इसे मुख्यतः वात हर माना है, जबकि बाद के कई वैद्यगण इसे त्रिदोषहर, रक्त शोधक, प्रतिसंक्रामक, ज्वरघ्न मानते हैं ।
13.
गुण, कर्म संबंधी मत-चरक संहिता के अनुसार हरड़ त्रिदोष हर व अनुलोमक है यह संग्रहणी शूल, अतिसार (डायरिया) बवासीर तथा गुल्म का नाश करती है एवं पाचन अग्निदीपन में सहायक है ।
14.
“... इसके अलावा अन्य कथन और कर्म संबंधी हदीसें जो पाँचों नमाज़ों के औक़ात के निर्धारण में अवतरित हुई हैं, और उन हदीसों में दिन के लंबे और छोटे होने और रात के लंबी और छोटी होने के बीच अंतर नहीं किया गया है, जबकि नमाज़ के औक़ात उन निशानियों के द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं जिन्हें अल्लाह के पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने स्पष्ट किया है।