किसी समाज या देश की समस् याओं का समाधान कर्म-कौशल, व् यवस् था-परिवर्तन, वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास, परिश्रम तथा निष् ठा से सम् भव है।
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हमें बल दो, देशवासियो,क्यों कि तुम बल हो:तेज दो, जो तेज्स हो,ओज दो, जो ओज्स हो,क्षमा दो, सहिष्णुता दो, तप दोहमें ज्योति दो, देशवासियो,हमें कर्म-कौशल दो:क्यों कि अभी कुछ नहीं बदला है,अभी कुछ नहीं बदला है...अद्भुत रचना पढ़वाने के लिए आभारप्रत्युत्तर देंहटाएं
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प्रभो! हमें दो वो कर्म-कौशल, जो मन कहीं पर न डगमगाए, प्रत्येक कर्तव्य-कर्म केवल, तुम्हारी आभा से जगमगाए, चरित्र-चिंतन की गंध से हो, पवित्र वातावरण हमारा, सुपात्रता से ही पा सकें फिर, तुम्हारी बाहों का हम सहारा,