रहिमन नीचन संग बसि, लगत कलंक न काहि दूध कलारी कर गहे, मद समझै सब ताहि कविवर रहीम जी का कहना है कि निम्न प्रवृत्ति के लोगों के संगत करने पर कभी न कभी कलंकित होना तो तय ही है।
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यह सब जानने के पश्चात् यह स्वीकार करना कठिन हो जाता है कैकेयी जैसी बुद्धिमान स्त्री एक साधारण दासी के बहकावे में आकर इतनी बड़ी भूल कैसे कर सकती है जिसके परिणाम स्वरुप अपना सुहाग खोने के साथ साथ उसे सदा के लिए कलंकित होना पड़े और उसका जाया भारत भी उससे घृणा करने लगे.