| 11. | इसके निर्माण के लिए काच की चादर को बेलते समय जस्ते की कलईदार लोहे की जाली उसमें डाल दी जाती है।
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| 12. | इसके निर्माण के लिए काच की चादर को बेलते समय जस्ते की कलईदार लोहे की जाली उसमें डाल दी जाती है।
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| 13. | पानी: धातु के कलईदार या मिट्टी के बर्तन में खूब उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी सन्निपात ज्वर, अग्निमान्द्य, पेट के रोग,
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| 14. | सूक्ष्म शरीर जैसे वायु, इसमें सूर्य की किरणें बिलकुल प्रतिबिम्बित नहीं होतीं, किन्तु कलईदार शरीर जैसे दर्पण में किरणें अधिक प्रतिबिम्बित होती हैं।
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| 15. | दही जमाने के लिये सदा मिट्टी का बर्तन और खाने के लिये हमेशा कलईदार, स्टील या कांच के बर्तन का प्रयोग करें.
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| 16. | मूली के छोटे-छोटे टुकड़े करके कलईदार पात्र में या स्टेनलेस स्टील के बर्तन में भरकर इतना शहद डाले कि मूली के टुकड़े शहद में डूब जाएं।
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| 17. | इसके बाद शहद और सफेद प्याज के पत्तों के रस को एक साथ मिलाकर किसी कलईदार बर्तन में भरकर हल्की आग पर पकाने के लिए रख दें।
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| 18. | 3. ढलवाँ लोहे की कलईदार मीनार वहाँ उपयुक्त होती है जहाँ पत्थर की ऊँची लागत और पर्याप्त श्रमिक न मिलने के कारण चिनाई का स्तंभ बहुत महँगा पड़ा हो।
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| 19. | 3. ढलवाँ लोहे की कलईदार मीनार वहाँ उपयुक्त होती है जहाँ पत्थर की ऊँची लागत और पर्याप्त श्रमिक न मिलने के कारण चिनाई का स्तंभ बहुत महँगा पड़ा हो।
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| 20. | जब ये जलकर कोयला हो जाये तो कलईदार बरतन में आधा किलो पानी में इन्हें बुझा दें, यह पानी रोगी को थोड़ा-2 करके, जल के स्थान पर पिलावे।
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