एक क़ौल यह है कि हज़रत जिब्रईल का सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से क़रीब होना मुराद है कि वह अपनी असली सूरत दिखा देने के बाद सैयदे आलम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के कुर्ब में हाजिर हु ए.
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प्रकृति के क़रीब होना, अपने-आप के क़रीब होना ही है क़ुदरत खिलखिलाती है मानो ज़िन्दगी खिलखिलाती है खुले आसमान में आज़ादी से उड़ते परिंदे हर बार अपनी मासूम ज़बान में किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई अच्छा पैग़ाम दे ही जाते हैं....
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प्रकृति के क़रीब होना, अपने-आप के क़रीब होना ही है क़ुदरत खिलखिलाती है मानो ज़िन्दगी खिलखिलाती है खुले आसमान में आज़ादी से उड़ते परिंदे हर बार अपनी मासूम ज़बान में किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई अच्छा पैग़ाम दे ही जाते हैं....
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-प्रकृति के क़रीब होना, अपने-आप के क़रीब होना ही है क़ुदरत खिलखिलाती है मानो ज़िन्दगी खिलखिलाती है खुले आसमान में आज़ादी से उड़ते परिंदे हर बार अपनी मासूम ज़बान में किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई अच्छा पैग़ाम दे ही जाते हैं....
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-प्रकृति के क़रीब होना, अपने-आप के क़रीब होना ही है क़ुदरत खिलखिलाती है मानो ज़िन्दगी खिलखिलाती है खुले आसमान में आज़ादी से उड़ते परिंदे हर बार अपनी मासूम ज़बान में किसी ना किसी रूप में कोई ना कोई अच्छा पैग़ाम दे ही जाते हैं....
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जैसा कि इमाम जाफ़रे सादिक़ अ 0 ने वुज़ू की अध्यात्मिक स्थिति की तरफ़ इशारा करते हुए फ़रमायाः जब वुज़ू करने का इरादा करो और पानी के क़रीब जाओ तो उस आदमी की तरह हो जाओ जो अल्लाह तआला की रहमत के क़रीब होना चाहेता है इस लिए कि ख़ुदा ने पानी को अपने क़रीब करने और और मुनाजात करने का ज़रिआ क़रार दिया है।