जी, प्रतिक्रया के ली हार्दिक धन्यवाद!टाईपिंग में अभी काचा हू जी,वे से प्रतिक्रया में आपने भी गलती की हे!आप'में'लगाना भूल गए हे!,-सुभाष बुदावन वाला,
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बात दरअसल ये है की हिसार पुलिस एक फरमान जारी कर शहरवासिओं को कहा है की वो रात के समय बरमुडा, काचा या फिर निक्कर पहन कर न घूमें.
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जैसे ऊपर लिखी वाणी में ‘‘ ज्योति ‘‘ फिर दूसरी में ‘‘ मोती ‘‘ । फिर ‘‘ साचा ‘‘ दूसरी में ‘‘ काचा ‘‘ । यहाँ पर ‘‘ धीरा ‘‘ अंतिम अक्षर वाली एक ही पंक्ति है।
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अभी काजू की कतली (इच्छा तो थी कोई पेड़ा या बालूशाही टाईप या फिर काचा गोला जैसी मिठाई मुँह में होती) खाते हुये कम सेप्टेम्बर और आईल ऑफ काप्री को समर्पित आज का दिन ।
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”, “ सैय्यां लेके बहियां में मारेलन काचा कच कच कच … ”, “ काहे नाही आये सईयां, रतियां में बोलकर, बईठल रहनी पिछली कोठरिया में खोलकर … ” खैर ये एक अंतहीन सूची है।
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संत कबीरदास जी के अनुसार-खरी कसौटी राम की, काचा टिकै न कोय राम कसौटी जे सहै, जीवत मिरतक होय भगवान श्री राम की भक्ति ही एक कसौटी है जिस पर कोई कच्चा आदमी नहीं टिक सकता।