सुप्रीम कोर्ट ने तो इसे एक बार कानूनी आतंकवाद तक कह दिया था (अब ये तय करना मुश्किल हैं कि 90 फीसदी केसों को झूठा बताना ज्यादा गलत हैं या कानूनी आतंकवाद की संज्ञा देना).
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सुप्रीम कोर्ट ने तो इसे एक बार कानूनी आतंकवाद तक कह दिया था (अब ये तय करना मुश्किल हैं कि 90 फीसदी केसों को झूठा बताना ज्यादा गलत हैं या कानूनी आतंकवाद की संज्ञा देना).
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पिछले साल दहेज मामले में ही एक सुवनाई के दौरान जस्टिस अजीत पसायत और एचके सेमा ने 498ए को कानूनी आतंकवाद की संज्ञा देते हुए कहा था, “जांच एंजसियों और अदालतों को पहरेदार की भूमिका निभानी चाहिए न कि रक्त पिपासु की.
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पिछले साल दहेज मामले में ही एक सुवनाई के दौरान जस्टिस अजीत पसायत और एचके सेमा ने 498ए को कानूनी आतंकवाद की संज्ञा देते हुए कहा था, “जांच एंजसियों और अदालतों को पहरेदार की भूमिका निभानी चाहिए न कि रक्त पिपासु की.