‘कथादेश ' के मई, 2012 अंक में प्रकाशित, दो पूर्ण कविताओं के संदर्भ में सुश्री शालिनी माथुर के लेख पर मेरी पहली स्वतःस्फुट टू दी प्वाइंट टिप्पणी को पत्रिका के संपादक ने आश्वासन देकर भी जुलाई अंक में नहीं दिया और अगस्त, 2012 के अंक में पूरे कारटेल के चार विस्तृत आलेखों के साथ उसे पर्याप्त संक्षिप्त कर उसे प्रकाशित किया था।
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आपको स्मरण होगा कि गत वर्ष ‘ कथादेश ' के मई, 2012 अंक में प्रकाशित, दो पूर्ण कविताओं के संदर्भ में सुश्री शालिनी माथुर के लेख पर मेरी पहली स्वतःस्फुट टू दी प्वाइंट टिप्पणी को पत्रिका के संपादक ने आश्वासन देकर भी जुलाई अंक में नहीं दिया और अगस्त, 2012 के अंक में पूरे कारटेल के चार विस्तृत आलेखों के साथ उसे पर्याप्त संक्षिप्त कर उसे प्रकाशित किया था।