उन्होंने कहा कि मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने से भारत के खुदरा कारोबार पर वालमार्ट, कारफोर तथा टेसको जैसी वैिक खुदरा कंपनियों का वर्चस्व स्थापित हो जाएगा।
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अमेरिका की रिटेल कंपनी वॉलमार्ट, फ्रांस की कारफोर, यूके की टेस्को और जर्मनी की मेट्रो ने पिछले पांच सालों के दौरान अपने-अपने देशों के मुकाबले विकासशील देशों में ढाई गुनी कारोबारी बढ़त हासिल की है।
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कल्पना कीजिये कि जब वाल मार्ट, टेस्को, कारफोर जैसी दैत्याकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों को खुदरा व्यापार में आने की इजाजत मिल जायेगी तो क्या होगा? उदाहरण के लिए वाल मार्ट को ही लीजिए जो भारत में आने के लिए अत्यधिक बेचैन है और भारती के साथ थोक यानी कैश एंड कैरी व्यापार में पहले से ही सक्रिय है.
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सरकार से मल्टीब्रांड रीटेल में 51 प्रतिषत एफडीआर्इ और सिंगल ब्रांड रीटेल में 100 प्रतिषत एफडीआर्इ की मंजूरी के बाद रीबाक, ऑडीडास, फर्नीचर ब्रांड आइकिया और लाइफ स्टाइल के प्रोडक्ट बनाने वाली गुच्ची जैसे ढ़ेरो कंपनीया देष में खुद के स्टोर और “ ाॉप खोल सकेगी, वही मल्टीब्रांड रीटेल में वॉल मार्ट, टेस्को, कारफोर, मेटो जैसी दिग्गज कंपनीया हजारो करोड़ के बैकअप प्लान के साथ दुनिया के सबसे बड़े बाजार में दो दो हात करने उतर सकती है।