यूँ भी “अपौरुषत्व” शुद्ध प्रज्ञावाचक संज्ञा है और न कि कालवाचक! इतने दीर्घ समय दौरान वैदिक भाषा में अप्रतिम वैविध्य, भेद या परिवर्तन हो जाना सहज था ।
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अर्थानुसार क्रिया-विशेषण के निम्नलिखित चार भेद हैं-1. कालवाचक क्रिया-विशेषण। 2. स्थानवाचक क्रिया-विशेषण। 3. परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण। 4. रीतिवाचक क्रिया-विशेषण। 1.कालवाचक क्रिया-विशेषण-जिस क्रिया-विशेषण शब्द से कार्य के होने का समय ज्ञात हो वह कालवाचक क्रिया-विशेषण कहलाता है।
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अर्थानुसार क्रिया-विशेषण के निम्नलिखित चार भेद हैं-1. कालवाचक क्रिया-विशेषण। 2. स्थानवाचक क्रिया-विशेषण। 3. परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण। 4. रीतिवाचक क्रिया-विशेषण। 1.कालवाचक क्रिया-विशेषण-जिस क्रिया-विशेषण शब्द से कार्य के होने का समय ज्ञात हो वह कालवाचक क्रिया-विशेषण कहलाता है।