आज भी बालोतरा-सीणधरी हाईवे पर नाकोडा ग्राम लूनी नदी के तट पर बसा हुआ है, जिसके पास से ही इस तीर्थ के मूल नायक भगवन की इस प्रतिमा की पुनः प्रति तीर्थ के संस्थापक आचार्य श्री किर्ति रत्न सुरिजी द्वारा विक्रम संवत 1090 व 1205 का उल्लेख है।
आँवले से किर्ति और केले से पुत्र प्राप्त होता है कमल से राज सम्मान और दाखो से सुख सम्पति कि प्राप्ती होती है खांड, घी, नारियल, शहद, जौं और तिल इनसे तथा फलो से होम करने वाले को मनवाछित वस्तु की प्राप्ती होती है व्रत करने वाला मनुष्य इस विधान से होम कर आचार्य को अत्यन्त नम्रता से प्रणाम करने वाले और यज्ञ की सिद्धि के लिये उसे दक्षिणा दे ।
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आँवले से किर्ति और केले से पुत्र प्राप्त होता है कमल से राज सम्मान और दाखो से सुख सम्पति कि प्राप्ती होती है खांड, घी, नारियल, शहद, जौं और तिल इनसे तथा फलो से होम करने वाले को मनवाछित वस्तु की प्राप्ती होती है व्रत करने वाला मनुष्य इस विधान से होम कर आचार्य को अत्यन्त नम्रता से प्रणाम करने वाले और यज्ञ की सिद्धि के लिये उसे दक्षिणा दे ।