| 11. | मुर्गीघरों में नीम या तंबाकू के पत्ते जलाकर धुंआ देने से जुएँ, किलनी आदि से छुटकारा पाया जा सकता है।
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| 12. | ग्रामों में मुर्गियों में ठीक रख-रखाव की कमी के कारण बाह्य परजीवी जुएँ, किलनी रोग की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
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| 13. | मुर्गीघरों में लेमन-ग्रास की पत्तियों को टाँग कर रखने से उनकी गंध से जुएँ, किलनी मुर्गीघर में प्रवेश नहीं करतें हैं।
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| 14. | गली-घाट के हैं सो उनके शरीर पर खाज-खुजली, किलनी, आपस में लड़ने के कारण होने वाले घाव आदि भी होते हैं।
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| 15. | किसान भाई, पशु के शरीर में किलनी की समस्या चिन्चीरियों से होती है जो पशु घरों में छिपी होती है, इनसे पशुओं में
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| 16. | यदि पशु को जूँ तथा किलनी हो गई है, तो पशु को पोटाश (लालदवा) के पानी से अच्छी तरह नहलायें।
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| 17. | कुछ रोग जैसे मलेरिया, कालाजार, श्लीपद, प्लेग आदि का संक्रमण कीटाणुओं के वाहक मच्छर, पिस्सू, भुनगे, जूँ और किलनी के दंश से होता है।
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| 18. | जब बड़ी हो रही बेटी कुत्ते से चिपकी किलनी (कीड़े) जैसी दिखने लगती है तब घुटन भी बेचैन हो जाती है ।
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| 19. | वन आच्छादित क्षेत्र में महुँआ-टोरे का तेल, करंजी तेल, नीम पत्ती या तंबाकू पीसकर पँखों के नीचे लगाने से जुएँ, किलनी से बचाव होता है।
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| 20. | 1694 में जब माइक्रोस्कोप के आविष्कारक एंटॉन वॉन लियुवेनहॉक ने जब यह घोषणा की कि किलनी (माइट्स) धूल पर जिंदा रहती हैं तो किसी ने उस पर भरोसा नहीं किया।
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