उन्हें पता चला कि ग्राही में अमीनो अम्ल लम्बी व मोटी श्रृखला, कोशिका झिल्ली में सात बार आगे पीछे मुड़कर कुण्डलित रस्सी की तरह लगी होती है।
12.
यह बीच में स्थित शंक्वाकार अस्थिल अक्ष स्तम्भ (इसे मॉडियोलस कहते हैं) के चारों ओर दो और तीन चौथाई (2 ¾) बार कुण्डलित होती है।
13.
कलामय कर्णावत वाहिका प्रघाण (वेस्टिब्यूलर) एंव बेसिलर नामक दो मेम्ब्रेन्स (झिल्ली) द्वारा लम्बवत् रूप में तीन अलग-अलग कुण्डलित (सर्पिल) वाहिकाओं में बंट जाती है-जो निम्नलिखित हैं-