भारत में नारी सदा से सम्मान की पात्र रही है इतिहास इस बात का गवाह रहा है, परन्तु आजकल मोडर्न ज़माने में औरत नारी के आजादी के नाम पर बस कुतर्क करना जानती है-उसमे रचनात्मक शक्ति का ह्रास होता जा रहा है.
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आप भी अब वरिष्ठ वकीलों की श्रेणी में आ चुके हैं अतः आपके साथ तर्क तो नहीं कर सकता (कुतर्क करना आदत नहीं) बस एक निवेदन है की अपने ज़िदगी के अनुभवों से अच्छी-अच्छी बातें बतायें और जो गलतियाँ हुई है उनसे आपको क्या ज्ञान मिला वह पहले बतायें.
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फालतू लफ़फाजिया करना मेरी फितरत नही यह आपको ही मुबारक हो मैं इस ब्लॉग मैं आया की शायद यहाँ से कोई संदेश समाज को जाए लोग मिलकर कोई अच्छा कार्य करे मुझे नही मालूम था की यहा आप जैसे लफ़फाज़ लोग आते है जिन्हे सिर्फ़ शब्दो का जाल बिछाना कुतर्क करना ही आता है.
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लेकिन पिताजी जो चीज हमारे काम की नही उसे दूसरों को देना क्या ठीक होगा? “-भैया कभी-कभी पूछते तो पिताजी एक ही बात कहते-” कुतर्क करना तो सीख गए हो कुछ अच्छी बातें भी सीख रहे हो कि नही! ” एक बार चाचाजी ने कह दिया कि ' पुरानी बेकार चीजों को तो निकाल ही देना चाहिये ।
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मुझे क् या पढ़ाया गया है या मैंने क् या पढ़ा है, उसकी बात भी कर लेंगे, लेकिन लगता है आपको जो पढ़ाया गया है, उससे आप सिर्फ कुतर्क करना, गाली-गलौज करना, और हर समस् या का समाधान मुस्लिम को बताना, मियां जैसे संबोधनों का इस् तेमाल करना, और झूठ को सच साबित करने का प्रयास करना जरूर सीख गए हैं।
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जब तक आमजन के लिए, बुद्धिजीवियों के लिए, राजनैतिक विश्लेषकों के लिए जनता से, समाज से, देश से बढ़कर पार्टीहित होता रहेगा ; उसकी भांडगीरी करना बना रहेगा ; पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कुतर्क करना बना रहेगा ; सही को सही, गलत को गलत कहने का माद्दा विकसित नहीं किया जायेगा तब तक ऐसे लोगों के कारण ही राजनैतिक चरित्रों में गिरावट देखने को मिलेगी ; राजनीति की दिशा गर्त में जाती दिखेगी ; राजनीति में गंदगी दिखेगी, राजनीति गन्दी दिखेगी.
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मूवी अगर जाना हो तो खाविंद नहीं कहेगा ' बीवी ' के साथ गया था, कहता रहेगा-आज उसको फिल्म दिखा के लाया... आज उसको शौपिंग करायी.... यहाँ तक कहेगा-मैं काम पर ना जाऊँ तो घर का चूल्हा ना जले.... पति को परमेश्वर कह कर उसे चढा दिया गया.... सामाजिक वैश्या वृत्ति वाला पहलू अव्यक्त है.... पर ' एंड ऑफ़ द डे ' कुछ भी मुल्लमा चढाएं, हकीक़त से आँख नहीं मूँद सकते. ” शिवांगी ने कुतर्क करना जारी रखा था.
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अनिरुद्धजी और अनुनाद जी विकिपीडिया के बहुत ही कर्मठ और पूरी लगन से कार्य करने वाले प्रबंधक हैं, उनसे इस तरह का कुतर्क करना आपकी हिन्दी के प्रति मंशा को जाहिर करता है, आपने इतने अच्छे लेख यहाँ से हटा कर नष्ट कर डाले जिनकी भरपायी काफी समय में हो सकेगी, विकिपीडिया सबका है किसी की जागीर नहीं है, सब यहाँ अपना बहुत कीमती समय दे रहे हैं और सब सम्मानित व्यक्ति हैं इसलिये यहाँ विशेषकर चौपाल पर टिप्पणी सोच विचार कर करें और भाषा संयत रखें।