हालांकि दुर्लभ, पर एकाधिक कशेरुकी अस्थि-भंग ऐसे गंभीर कूबड़ (कुब्जता) को जन्म दे सकता है कि परिणामी आंतरिक अंगों पर दबाव से सांस लेने की क्षमता ख़राब हो सकती है.
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आमवात, संधिवात, सर्वांगवात, पक्षघात, ग्रध्रसी, शोथ, गुल्म, अफरा, कटिग्रह, कुब्जता, जंघा और जानु की पीड़ा, वन्ध्यत्व, योनी रोग आदि नष्ट होते हैं।
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इस रोग के मृदु आक्रमण के अंतर्गत रीढ़ की हड्डी से या तो एक तरफ शरीर का झुकाव हो जाता है, जिसे पार्श्वकुब्जता (scoliosis), कहते हैं, अथवा आगे की तरफ झुकाव हो जाता है, जिसे कुब्जता (kyphosis) कहते हैं।