बहनों द्वारा कुल्हिया चुकिया में भरे अन्न का उपयोग नहीं करने के पीछे मान्यता यह है कि घर की रक्षा और उसका भार वहन करने का दायित्व पुरूष अपने कंधे पर रखता है।
12.
एक कुल्हिया में आधा पानी लिया, ऊपर से दूध डालकर सूरदास के पास आई और विषाक्त हितैषिता से बोली-यह लो, लौंडे की जीभ तुमने ऐसी बिगाड़ दी है कि बिना दूध के कौर नहीं उठाता।
13.
पक्षी ने दाना चुगा, उसे विश्वास भरी आंखों से देखा, मानो पूछ रहा हो-तुम मुझे स्नेह से पालोगी या चार दिन मन बहलाकर फिर पर काटकर निराधार छोड़ दोगी लेकिन उसने ज्योंही पक्षी को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, पक्षी उड़ गया और तब दूर की एक डाली पर बैठा हुआ उसे कपट भरी आंखों से देख रहा था, मानो कह रहा हो-मैं आकाशगामी हूं, तुम्हारे पिंजरे में मेरे लिए सूखे दाने और कुल्हिया में पानी के सिवा और क्या था ।
14.
राजा उदय राज (चोथे विवाह-लाहार के राजा कारन सिंह कछवाहा की पुत्री से) राजा हुए १ ४ ०० शताब्दी तक उनका वंश बिना किसी विभाजन के चला १ ४ २ ७ में जैतपुर की स्थापना करनेवाले राजा जैतसिंह के भाई कुंवर भाव सिंह १ ४४ ० में कालपी के नवाब के लहार पर आक्रमण को विफल किया और कालपी के नवाब को मार कर उसका कुल्हा (राजमुकुट) छीन लिया, इस घटना के बाद से कुंवर भाव सिंह के वंसज कुल्हिया भादौरिया के नाम से जाने जाते है.