स्पष्ट है कि इससे पूर्व पुरोहित पद किसी जाति की बपौती नहीं था किन्तु कुल वंश परम्परा के आधार पर ही पुरोहित पद चलने का प्रचलन था।
12.
आप इनसे झड़ी लगाकर प्रश् न करना शुरू करें और सात पुश् तों तक इनके कुल गोत्र शाखा वंशावली और रिश् तेदारों के कुल वंश गोत्रादि विवरण अवश् य पूछें ।
13.
चिद्-विलास: पिता के साथ पुरखों का इतिहास अपने पूर्वजों पर लोग क्यों नहीं लिखते लेखक लोग अक्सर अपने घर परिवार कुल वंश के बारे में आधी-अधूरी बातें करके छुट्टी पा लेतें हैं।
14.
क्या ऐसी चरित्र हीन स्त्री पर अंकुश रखन गलत है जिससे कुल वंश कलंकित होता हो / / परिवार में कलह उत्पन्न होती हो // लोकतंत्र की परिभाषा सिर्फ वही होनी चाहिए जो रास्ट्रहित में हो
15.
प्राय तमाम ऋषि मुनि गुरुकूल चलाते थे संदीपनी और वशिस्ठ मुनि ने तो कृष्ण और राम को शिक्षा दी थी गोतम, पाराशर और दधिची ने नये कुल वंश चलाये, पाणिनि, आर्य भट, बरह्म भट, पातंजलि, चारवाक, जेसे तो हजारो ऋषि हुए जिन्होने ज्ञान विज्ञानं की साधना की