झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले, शहर के कर्मचारी,अंशकालिक मजदूर ग्रामीण और कृषि श्रमिक, ग्रामीण क्षेत्र के शिल्पी इन सबकी ज़िन्दगी बदतर होती चली गयी हैं।
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VI कृषि श्रमिक या गैर-कृषि श्रमिक की श्रेणी से संबंधित प्रत्येक परियोजना प्रभावित परिवार को 625 दिनों की न्यूनतम मजदूरी के बराबर वित्तीय सहायता दी जायेगी।
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3. भूमिहीन कृषि श्रमिक जो उस सर्कल में रहते हों और अनुसूचित जाति या जनजाति के हों, और अन्य ऐसी ही परिस्थितियों वाले लोग।
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सामाजिक स्तर पर, पंजाब के अधिकांश दलित सिक्ख भूमिहीन थे और वे प्रभुत्वशाली जाट सिक्खों के अधीन, कृषि श्रमिक के रूप में काम करने के लिए बाध्य थे।
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सामाजिक स्तर पर, पंजाब के अधिकांश दलित सिक्ख भूमिहीन थे और वे प्रभुत्वशाली जाट सिक्खों के अधीन, कृषि श्रमिक के रूप में काम करने के लिए बाध्य थे।
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छोटे किसान और भूमिहीन कृषि श्रमिक तब क्या इस कीमत को सहन करने की स्थिति में होंगे? कोंकण के अल्फांसो आम और केरल के मछली व्यापार का यही हश्र हुआ।
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कृषि श्रमिक आमतौर पर नये क्षेत्रों (ग्रामीण तथा शहरी, दोनों) में चले जाते हैं, क्योंकि जहां वे रहा करते थे, वहां मजदूरी कम मिलती है तथा रोजगार के अवसर अपर्याप्त होते है।
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उत्तराखंड जल यात्रा में शामिल राष्ट्रीय जल बिरादरी के प्रदेश संयोजक सुरेश भाई बताते हैं कि अनुसूचित जाति के कृषि श्रमिक इन सुरंगों से सर्वाधिक प्रभावित हैं और इन्हें मुआवजा भी नहीं मिलता।
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सन् 1983 से 1986 के बीच खेती से जुड़े काम में 90 दिन गुजारने का प्रमाण देने वाले किसी व्यक्ति को कृषि श्रमिक माफी योजना के तहत स्थायी आवास की अनुमति मिल भी जाती है।
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१. ५ छोटे तथा सीमान्त किसानों के लिए लघु किसान विकास एजेन्सी तथासीमान्त किसान तथा कृषि श्रमिक एजेन्सी जैसे विशेष कार्यक्रमों का विकासहुआ जिनका पांचवी पंचवर्षीय योजना के दौरान समन्वित ग्रामीण विकासकार्यक्रम में विलय कर दिया गया.