जैसे उनकी लघुकथा ‘ अफसर ' जिसमें शीर्षक के अनुरूप न केवल अफसर की अभिजात्य मानसिकता, बल्कि उसके सम्पूर्ण परिवेश को पूरी कलात्मकता के साथ अभिव्यक्ति मिली है।
12.
(वर्ना जब कोई अफसर, केवल अफसर होने के कारण ही साहित्यकार होता है तो अफसरी का तो ‘ ग्लेमर ' बढ़ता है किन्तु साहित्य दुर्घटनाग्रस्त होकर लज्जित होता है।
13.
अन्यथा सेना में औरतो का क्या काम? और यदि सेना में औरतो का काम है तो फिर सिपाही के पद पर भी लड़कियों को क्यों नहीं भर्ती किया जाता? केवल अफसर पद पर ही भर्ती क्यों? क्या सिपाही के लायक लड़किया नहीं है?