चोट सेकती हैकातरनिरीहआंखों से मेरे दिल मेंझांकती है, उसकी इननजरों सेमैं कमजोर पड़ जाता हूंमेरीरूह आंन्धी मेंदीए की मानिन्द कांपती हैमैं सोचता हूंकि अब तकजो ख्वाब बुने थेइन्सानियत केसारे के सारे तोड़ दूंपरतभी सामने आ खड़ी होती हैबसुमानेछोटी सीप्यारी सीबेटीमेरी बेटी बसुदासाफपाक आंखों से झांकतीमानो मेरीकमजोरी को भांपतीजैसे पूछती होपापा फिर कौन लड़ेगा?उन लोगों नेजिन्होंने
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इस ठहरे हुये समय मेंबदलते अवसरों के गवाहउस आइने मेंएक चालीस के करीब पहुँच रहीअर्थहीन हो चुकी औरत कोआजकलचौदह साल की बच्ची दिखती हैजिन्दगी के प्रति जोश से लबालबअन्जान राहों परबेखौफ बढती हुई अक्सर लगता हैप्यार और विश्वास केसारे सन्दर्भ बदल से गये हैंआहिस्ता आहिस्ताकई कई रिश्तेजो मायने रखते थेतब भी / आज जरी की चमक पार्टी अपने पूरे वजूद पर थी।
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मेला के कारण सभी होटलों केसारे कमरे भरे हुए थे. तभी मुझे अचानक याद आया की मेरे दोस्त बंटी का अजमेर से २० मील दूर ख़ुद का एक फार्म हाउस है.जिसका बंगला खाली पडा हुआ है,मेने लड़कियों से पूछा की अगर वह चाहें तो में उस बंगले में उनके रहने की व्यवस्था करा सकता हूँ,ऎसी दशा में और कोई उपाय नहीं है.
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का कहना है कि-पत्नी आंचल सेमेरालहू पौंछती हैघी हल्दी सेशरीर की चोट सेकती हैकातरनिरीहआंखों से मेरे दिल मेंझांकती है, उसकी इननजरों सेमैं कमजोर पड़ जाता हूंमेरीरूह आंन्धी मेंदीए की मानिन्द कांपती हैमैं सोचता हूंकि अब तकजो ख्वाब बुने थेइन्सानियत केसारे के सारे तोड़ दूंपरतभी सामने आ खड़ी होती हैबसुमानेछोटी सीप्यारी सीबेटीकितनी प्यारी रचना दी है, श्यामजी आपकी सरल भाषा में अभिव्यक्ति वास्तव में यूनिक है.
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सर्वप्रथम जंगल विभाग आयाजंगल अधिकारी ने बताया-‘इस प्रतियोगिता केसारे फर्नीचर के लिएचार हजार चार सौ बीस पेड़ कटवाए जा चुके हैंऔर एक-एक डबल बैड, एक-एक सोफा-सैटजूरी के हर सदस्य के घर, पहले ही भिजवाए जा चुके हैंहमारी ओर से भ्रष्टाचार का यही नमूना है,आप सुबह जब जंगल जाएँगेतो स्वयं देखेंगेजंगल का एक हिस्सा अब बिलकुल सूना है।'अगला प्रतियोगी पी.डब्लू.डी. काउसने बताया अपना तरीका-‘हम लैंड-फिलिंग या अर्थ-फिलिंग करते हैं।
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इतिहास लेखन केसारे स्रोत-प्राचीन प्रशस्त्तियां, सिक्के, ताम्रपत्र, पट्टे, परवाने, भाट एवं जागाओं की बहियां, प्रकाशित अंग्रेजी, फारसी, अरबी, हिन्दी संस्कृत ग्रंथ और अप्रकाशित हस्तलिखित ग्रन्थों का पता लगा कर उन्हें खरीदा गया, उनकी प्रतिलिपियां कराई गई, किवदन्तियां संग्रहित की गई, पुरातत्व के साधन जुटाये गये, उसके आधार पर उन्होंने ` वीर विनोद ' का लेखन प्रारम्भ किया।
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इन बहारों में अकेले न फिरोराह में काली घटा रोक न लेमुझ को ये काली घटा रोकेगी क्याये तो ख़ुद है मेरी ज़ुल्फ़ों के तलेये फ़िज़ायें ये नज़ारे शाम केसारे आशिक़ हैं तुम्हारे नाम केफूल कहती है ओ हो हो होफूल कहती है तुम्हें बाद-ए-सबा, तुम्हें बाद-ए-सबादेखना बाद-ए-सबा रोक न लेइन बहारों में अकेले...मेरी कदमों से बहारों की गलीमेरा चेहरा देखती है हर कलीजानते हैं सब ओ हो हो होजानते हैं सब मुझे गुल्ज़ार में, मुझे गुल्ज़ार मेंरंग सब को मेरे होंठों से मिलेइन बहारों में अकेले...