हिंदी में एक जगह ही ज़िक्र दिखा-“ अल्लाह ताला जब किसी काम को करना चाहते हैं तो इस काम के निस्बत इतना कह देतें हैं कि कुन यानी हो जा और वह फाया कून याने हो जाता है ”...
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इससे ज़्यादा समझ नहीं आया तो नेट को और खंगाला...हिंदी में एक जगह ही ज़िक्र दिखा-“अल्लाह ताला जब किसी काम को करना चाहते हैं तो इस काम के निस्बत इतना कह देतें हैं कि कुन यानी हो जा और वह फाया कून याने हो जाता है”...
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जबकि उन सब में का सैबुल राय यूं कहता होगा, नहीं तुम तो एक ही रोज़ में रहे और लोग आप से पहाड़ों के निस्बत पूछते हैं, आप फरमा दीजिए कि मेरा रब इनको बिलकुल उदा देगा, फिर इसको इसको मैदान हमवार कर देगा.
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दोस्तों, पिछले दिनों माननीय उच्च न्यायलय ने एक बेहद्द संवेदनशील फैसला होमोसेक्स के निस्बत दिया जिसकी गूँज सारे देश में बड़े जोरो से सुनी जा रही है / पश्चिमी देशो की तरज पर होमोसेक्स अब भारत में में भी बड़े शानोशोकत से कानूनी पहनावे में सज्ज ध्ज्ज कर...
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दोस्तों, पिछले दिनों माननीय उच्च न्यायलय ने एक बेहद्द संवेदनशील फैसला होमोसेक्स के निस्बत दिया जिसकी गूँज सारे देश में बड़े जोरो से सुनी जा रही है / पश्चिमी देशो की तरज पर होमोसेक्स अब भारत में में भी बड़े शानोशोकत से कानूनी पहनावे में सज्ज ध्ज्ज कर
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शाशिभूषणतामड़े उवाच;दोस्तों, जी जनाब मै उस मुहाने पर खड़े जमौड़े के निस्बत ही बाते कर रहा हूँ जिनके जरिये हमें तमाम किस्म की हलचलों का पता चलता है, और मै उसी बाबत कहरहा हूँ जो हमारे निजाम में व्याप्त लोकशाही की पहरेदारी पुख्ता नेकदिली से अंजाम देते रहने...
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शाशिभूषणतामड़े उवाच;दोस्तों, जी जनाब मै उस मुहाने पर खड़े जमौड़े के निस्बत ही बाते कर रहा हूँ जिनके जरिये हमें तमाम किस्म की हलचलों का पता चलता है, और मै उसी बाबत कहरहा हूँ जो हमारे निजाम में व्याप्त लोकशाही की पहरेदारी पुख्ता नेकदिली से अंजाम देते रहने
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जबकि उन सब में का सैबुल राय यूं कहता होगा, नहीं तुम तो एक ही रोज़ में रहे और लोग आप से पहाड़ों के निस्बत पूछते हैं, आप फरमा दीजिए कि मेरा रब इनको बिलकुल उदा देगा, फिर इसको इसको मैदान हमवार कर देगा.जिसमें तू न हम्वारी देखेगा न कोई बुलंदी देखेगा.
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सो ऐसे-ऐसे हालात किताबों में लिखते हैं कि जो इन किताबों को नहीं मानोगे तो तुम्हारे वास्ते अच्छा नहीं है, और अलावा इसके मुसलमानों के निस्बत ऐसा लिखा है कि जो तुम इन किताबों को नहीं मानोगे तो तुम काफिरों में समझे जाओगे, सो ऐसी-2 जाल की बातें हजारों इन सौदागरांन ने चलाई हैं और हजारों किताबें चलाई है।
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जैसा कि आपने इस सवाल में इन्सान को महज एक काम के अन्दर कुत्ते-बिल्ली के मुशाबह न होने के बाइस गौश्तखुरदन से जुदा रखने की कोशिश की है बरअक्स जुगाली करने और जुगाली न करने वाली सब्जी खुरदन के निस्बत जुदाई का कोई ख्याल नही किया और न उनके सर के सींगों की तरफ निगाह डाली जिस से मसअला खुद बखूद हल हो जाता।