नक़्शे में देखने से कूहिस्तोनी-बदख़्शान का दक्षिणी छोर पाकिस्तान के बहुत ही पास है लेकिन उनके बीच से अफ़्ग़ानिस्तान का वाख़ान गलियारा निकलता है, जो कुछ भागों में केवल १ ६ किलोमीटर चौड़ा है लेकिन जिसे भयंकर पर्वतों की वजह से पार करना लगभग नामुमकिन है।
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आजकल जी टीवी पर चल रहे एक धारावाहिक ने मुझे अनायास ही आकर्षित किया है! “ अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो ” इस धारावाहिक को देख कर मुझे एकाएक रांगेय राघव और फणीश्वर नाथ रेणू की रचनाओं की याद आ गई! धारावाहिक मुझे जीवन और संवेदनाओं के बहुत ही पास लगा! परिवार चलाने के लडके की ज़रूरत होती है और इसके लिए हम क्या क्या कर डालते है वास्तव में सोचनीय विषय है!