इस्लाम ने अपने मानने वालों को यह शिक्षा दिया कि तुम्हारा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना इस कारण न होना चाहिए कि लोग तुम से प्रेम करें बल्कि इस लिए होना चाहिए कि इस से हमारा रब ख़ूश होगा, और हमें अपने से निकट करेगा।
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83. और उस समय को भी याद करो जब हमने बनी इस्राईल से यह वचन लिया था कि तुम अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य की इबादत न करना और माँ बाप, संबंधियों, यतीमो व दरिद्रों के साथ अच्छा व्यवहार करना व लोगों से शिष्टता के साथ बात चीत करना और नमाज़ को क़ाइम करना व ज़कात देना, परन्तु कुछ लोगों को छोड़ कर तुम (यह वचन देने के बाद) अपने वचन से फिर गये और तुम तो वचन से फिरने वाले थे ही।