किंतु प्रतिभाषाली चित्रकार संध्या सिंह ने संगीत की प्ररेणा से अपने कैनवैस पर इसी विषय पर विभिन्न रागों को अकार देने की कोशिश की है।
12.
संध्या सिंह ने अपने कैनवैस पर विभिन्न रंगों के माध्यम से अलाप, जुगलबंदी एंव संगीत के सात स्वर एवं उनसे जु़ड़ने वाले अन्य पहलुओं को स्थूल आकार दिए हैं।
13.
रास्ते में फुटपाथ के दोनों ओर बने हुए मकान ऐसे लग रहे थे जैसे किसी चित्रकार द्वारा कैनवैस पर चित्रित किये गये हों, परंतु दीवान मार्केट पहुँचने पर मीता ने पाया कि वहाँ के भवन, दूकानदार व ग्राहक सब ऐसे थे जैसे दिल्ली के करोलबाग में मिलते हैं।
14.
जैसे यह दिन इस जीवन का ही हिस्सा है एक खाली कैनवैस कुछ बनाने के लिए यह फिर कभी न मिलेगा मेरी संभव कूदों में से एक कूद को धूल-धूसरित करता यह एक दिन जा रहा है इस बीतते जा रहे दिन के सामने मैं एक असहाय दर्शक, बस!