यदि हाँ! तो चन्दा कोचड़ आपके-मेरे परिवार मे तो कैसे ही हो पाएगी भला! और अगर हुई तो निश्चित जानिए कि आपके बनाए ढांचो को ढहाए बिना नही हो सकेगी! ढाँचे ढह जाने से आपका विद्वेष बढेगा और ईर्ष्या भी बढेगी और ऐसा समाज स्वस्थ समाज कैसे हो सकेगा जहाँ दोनो विपरीत लिंगी सथियों के बीच ऐसा विद्वेष हो।
12.
आप कैसे ही सदाचारी, दुराचारी पापी हो, कैसे ही हो ; पर आप निसंदेह हो कि भगवानको आना ही पड़ेगा तो जरुर मिलेंगे! भगवानको आपके पाप रोक नहीं सकते! यदि हमारे पाप भगवानको अटका दे तो भगवान् मिलकर भी क्या निहाल करेंगे? आपका विश्वास पक्का होना चाहिए, प्रह्लादजीकी तरह! श्रद्धा, विश्वास अंधा होता है, संदेह नहीं होता है ।
13.
मैं ने दुखी से स्वर में उनसे कहा-' ' इस तरह बिजनेस के लिये भाभी के प्राय: घर से बाहर रहने पर आपको दिक्कत तो होती होगी! '' '' अब भई तरक्की करना है, तो हमको कुछ न कुछ तो त्याग करना ही पडेग़ा न! '' '' फिर भी घर के काम? '' '' घर के काम तो कैसे ही हो जाते हैं अमर भैया! इत्ती सी बात के लिये उन्हें घर में बन्द रखना उचित नहीं।