प्यास की कैसे लाए ताब कोईनहीं दरिया तो हो सराब कोई शाइरी के शौकीनों के लिए जावेद अख़्तर का नया गज़ल / नज़्म संग्रह ‘लावा' बेशक एक दरिया ही है, सराब तो (मृगतृष्णा) कतई नहीं।
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उस असह्य स्थिति का साझीदार तब कोईनहीं था, फिर अब उसकी स्मृति का साझा करके क्या होगा? डॉक्टरों का क्का? कोई भीबीमारी बता देंगे, दवा लिख देंगे, उनके बूते का कुछ नहीं.
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माँ सरस्वती तूने दिया हैप्यार माँ स्वीकार कर आभारमाँ माता-पिता कोईनहीं बस तू ही हैआधार माँ मेरा नहीं तेराही है जो कुछ भी है घर-बारमाँ कोई न था बस तूही थी जब था बहुत लाचार माँ आशीष दे लड़तारहूँ जितना भी होअंधियार...
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एस्पेशिया ने कुछ अकुलाते हुए कहा, "कोई यह आक्षेप करेकि पुरुषों को मैं बिगाड़ती हूँ तो उसमें कुछ तथ्य है, किन्तु गृहणियोंको मैं अपनी कला सिखाती हूँ और उलटे मुझे ही नुकसान होता है यह तर्क कोईनहीं समझता?" सुकरात ने कहा, "रसोई-घर में तर्क विद्या नहीं सिखायी जाती.
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समीर जी, आपका कथन और सलाह बिल्कुल उचित है और आवश्यक भी, लेकिन ये भारत है यहाँ अगर वेतन बढ़वाने हों तो हड़ताल हो जाएगी और ऐसे कामों के लिए कोईनहीं sunta, जब कोई अपना मरेगा तब समझ आएगी कि ये क्या होता है?
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बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना जाता है क्योकि इस मौसम में रंग बिरंगे फूल खिलने से बागों में बहार आ...माँ सरस्वती तूने दिया हैप्यार माँ स्वीकार कर आभारमाँ माता-पिता कोईनहीं बस तू ही हैआधार माँ मेरा नहीं तेराही है जो कुछ भी है घर-बारमाँ कोई न था बस तूही थी जब था बहुत लाचार माँ आशीष दे लड़तारहूँ जितना भी होअंधियार...