३. मूर्धन्य-जीभ थोड़ी पीछे लेकर कोमल तालु में लगाकर ध्वनि निकालने पर वह निम्न अक्षरों में व्यक्त होती है-ऋ, ट, ठ.ड, द, ण, ष।
12.
कोमल तालव्य अलिजिह्वा (कौवा) तथा मूर्धा के बीच का स्थान कोमल तालु है, तथा जिह्वापश्च द्वारा कोमल तालु स्पर्श किए जाने से उच्चरित ध्वनियाँ कोमल तालव्य हैं, जैसे-' क्, ख्, ग्, घ् ' आदि।
13.
कोमल तालव्य अलिजिह्वा (कौवा) तथा मूर्धा के बीच का स्थान कोमल तालु है, तथा जिह्वापश्च द्वारा कोमल तालु स्पर्श किए जाने से उच्चरित ध्वनियाँ कोमल तालव्य हैं, जैसे-' क्, ख्, ग्, घ् ' आदि।
14.
उदाहरण के लिये संखिया के विष के प्रभाव से पैरों की कमजोरी, सीस के विष के प्रभाव से अंगुलियों और कलाइयां का लकवा, मधुमेह में पैरों में दुर्बलता तथा पोषण व्रण, डिपथीरिया में कोमल तालु का लकवा, शराब के विषैले प्रभाव से पैरों का सुन्न होना, हाथ पैर की ऐंठन, हिलने डुलने में दर्द, स्पर्शवेदना आदि लक्षण होते हैं।